
दो दिन मनाई हरेली पर्व ,ग्रामीणों ने कृषि यंत्रों की की पूजा, ग्राम देवताओं को चढ़ाया नारियल
गुड न्यूज छत्तीसगढ़।सारंगढ़
छत्तीसगढ़ की संस्कृति और कृषि परंपरा से जुड़े हरेली पर्व को लेकर इस बार सारंगढ़ क्षेत्र में दो दिनों तक बड़े ही धूमधाम और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ उत्सव मनाया गया। बुधवार और गुरुवार को मनाए गए इस पर्व में गांव-गांव में हर्षोल्लास का माहौल देखने को मिला।
किसानों के चेहरों पर फसल की हरियाली की वजह से विशेष खुशी देखने को मिली। लोगों ने बताया कि क्षेत्र में धान की बुआई और रोपाई का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है, जिससे किसान इस पर्व को निश्चिंत होकर मना रहे हैं।
गांवों में उमड़ा श्रद्धा और आस्था का सैलाब
दानसरा, माधोपाली, बोईरडीह, टांगर, बघनपुर, मुड़ियाडीह, मुड़पार, बंधापाली, सिंगारपुर, फर्सवानी, बैगिनडीह और मल्दा ब सहित अन्य गांवों में हरेली पर्व को लेकर विशेष तैयारी की गई थी। सुबह से ही गांवों में इष्टदेवताओं की पूजा, कृषि औजारों की सफाई और पूजन, तथा ग्राम देवताओं के समक्ष नारियल चढ़ाने की परंपरा निभाई गई।
ग्राम देवताओं की पूजा से आती है समृद्धि
हरेली पर्व को लेकर ग्रामीणों में गहरी आस्था और परंपरा से जुड़ा विश्वास देखने को मिला। बुजुर्ग ग्रामीण रामेश्वर पटेल, पंचराम पटेल, मोहितराम पटेल, हरिचरण पटेल और पुनीराम ने बताया कि हरेली छत्तीसगढ़ का केवल त्यौहार नहीं, बल्कि ग्राम समृद्धि और फसल उन्नति का प्रतीक पर्व है। उन्होंने कहा कि वर्षों से मान्यता रही है कि इस दिन ग्राम देवी-देवताओं की पूजा करने से गांव में सुख-शांति बनी रहती है और फसल की पैदावार अच्छी होती है। इसी परंपरा के तहत गांव के बैगा द्वारा नारियल फोड़कर ग्राम देवताओं की विधिवत पूजा करवाई जाती है।
साथ ही कृषि यंत्रों की साफ-सफाई कर उनकी पूजा भी की जाती है, जिसे खेती में शुभ संकेत माना जाता है। ग्रामीणों के अनुसार, यह परंपरा आज भी उसी श्रद्धा से निभाई जा रही है।
कृषि यंत्रों की साफ-सफाई कर हुई विधिवत पूजा
हरेली पर्व के दिन सुबह से ही गांवों में किसानों द्वारा अपने कृषि यंत्रों और औजारों की साफ-सफाई कर पूजन की तैयारी शुरू कर दी गई थी। लगभग सुबह 8 बजे से ही पूजा-पाठ का सिलसिला आरंभ हो गया। ग्रामीणों ने अपने घर के आंगन में लकड़ी से बने पारंपरिक औजारों – नांगर, फावड़ा, गैती, बोसला, कुल्हाड़ी, बिनहा, रेंदा, साबर आदि को बालू और मिट्टी से सजी फर्श पर रखा। इसके बाद चावल के आटे और सिंदूर से हाथों के चिन्ह बनाकर पूजा-अर्चना की गई।
खेती में हरियाली देख उत्साहित हुए किसान, पर्व में झलकी खुशहाली
इस वर्ष क्षेत्र में समय पर हुई बारिश और अनुकूल मौसम के कारण धान की फसल की स्थिति बेहतर है। किसानों ने बताया कि रोपाई और बुआई का काम लगभग पूरा हो चुका है। हरेली पर्व से पहले ही अधिकांश किसानों ने खेतों में खाद व दवाइयों का छिड़काव कर लिया था, जिससे वे पूरे उल्लास के साथ पर्व में शामिल हो सके।
हरेली के दिन गांवों में कृषि यंत्रों की पूजा के साथ परंपरागत रीति-रिवाजों को निभाया गया।
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